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मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

सर्व नाश


थर्रा गये  मंदिर ,मस्जिद ,गिरिजा घर   
जब  कर्ण  में पड़ी  मासूम की चीत्कार 
सहम गए दरख़्त के सब फूल पत्ते  
बिलख पड़ी हर वर्ण हर वर्ग  की दीवार 
रिक्त हो गए बहते हुए चक्षु  समंदर 
दिलों में  नफरतों के नाग रहे फुफकार
उतर  आये   दैत्य देवों  की भूमि पर 
और ध्वस्त किये अपने देश के संस्कार  
 दर्द के  अलाव में  जल  रहे हैं जिस्म
नाच रही हैवानियत मचा हाहाकार
        देख  खतरे में नारियों  का अस्तित्व
        सर्व नाश भू मंडल पर ले रहा आकार 
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17 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सटीक प्रस्तुति.वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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  2. वर्तमान परिस्थिति का मार्मिक चित्रण पेश किया है आपने हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया

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  3. आत्मा को झकझोरती सम्बेदनशील रचना -खुबसूरत

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  4. प्रभावी .... सामयिक रचना ... ये गुस्सा जायज है ...

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  5. आपकी यह प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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  6. ये स्थितियाँ प्रलय के प्रथम संकेत हैं।

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  7. सुंदर प्रस्तुति
    नववर्ष की हार्दिक बधाई।।।

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  8. दिन तीन सौ पैसठ साल के,
    यों ऐसे निकल गए,
    मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
    ज्यों कहीं फिसल गए।
    कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
    कुछ आकुल,विकल गए।
    दिन तीन सौ पैसठ साल के,
    यों ऐसे निकल गए।।
    शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
    इस उम्मीद और आशा के साथ कि

    ऐसा होवे नए साल में,
    मिले न काला कहीं दाल में,
    जंगलराज ख़त्म हो जाए,
    गद्हे न घूमें शेर खाल में।

    दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
    प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
    बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
    ऐसा होवे नए साल में।

    Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.

    May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (06-01-2013) के चर्चा मंच-1116 (जनवरी की ठण्ड) पर भी होगी!
    --
    कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
    सादर...!
    नववर्ष की मंगलकामनाओं के साथ-
    सूचनार्थ!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  10. Bahut sunder prastuti. Sachmuch daityon ka mukt sanchar ho raha hai yahan.

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