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मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

सर्व नाश


थर्रा गये  मंदिर ,मस्जिद ,गिरिजा घर   
जब  कर्ण  में पड़ी  मासूम की चीत्कार 
सहम गए दरख़्त के सब फूल पत्ते  
बिलख पड़ी हर वर्ण हर वर्ग  की दीवार 
रिक्त हो गए बहते हुए चक्षु  समंदर 
दिलों में  नफरतों के नाग रहे फुफकार
उतर  आये   दैत्य देवों  की भूमि पर 
और ध्वस्त किये अपने देश के संस्कार  
 दर्द के  अलाव में  जल  रहे हैं जिस्म
नाच रही हैवानियत मचा हाहाकार
        देख  खतरे में नारियों  का अस्तित्व
        सर्व नाश भू मंडल पर ले रहा आकार 
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गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

री तू क्यूँ जिन्दा है ??


लिखी  गई  फिर पल्लव पर नाखून से कहानियां   
खिलखिलाई गुलशन में न्रशंसता की निशानियां  
छिपे शिकारी जाल बिछाकर ,चाल समझ में आई 
उड़ती चिड़िया ने नभ से   आने की  कसम खाई 
बिछी नागफनी देख बदरिया मन ही मन घबराई 
गर्भ से निकली ज्यों ही बूँदे झट उर से चिपकाई 
 सकुचाई ,फड़ फडाई तितली देख देख ये सोचे 
 कहाँ छिपाऊं पंख मैं अपने कौन कहाँ कब नोचे 
देख सामाजिक ढांचा आज हर  मादा शर्मिंदा है 
एक सवाल अपने अस्तित्व से ,री तू क्यूँ जिन्दा है ??
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रविवार, 16 दिसंबर 2012

हिम सौन्दर्य


अनुपम अद्दभुत कलाकृति है या द्रष्टि का छलावरण
जिसे देख विस्मयाभिभूत हैं द्रग और अंतःकरण
त्रण-त्रण चैतन्य   चित्ताकर्षक रंगों का ज़खीरा
पहना सतरंगी वसन शिखर को कहाँ छुपा चितेरा
           शीर्ष पर बरसते हैं रजत,कभी स्वर्णिम रुपहले  कण                                  
  जिसे देख विस्मयाभिभूत हैं आँखें और अंतःकरण 

          कहीं धूप की चुनरी पर ,बदरी का बूटा गहरा गहरा                                     
कहीं वधु ने घूंघट खोला  कहीं छुपाया रूप सुनहरा

किसने है ये जाल बनाया,कौन है बुनकर  विचक्षण
जिसे देख विस्मयाभिभूत हैं आँखें और अंतःकरण 

             शीत ऋतू में  मुकुट पर चाँदी की छतरी का घेरा                                
             बिखरे बिखरे रुई के गोले  धुंध  में लिपटा सवेरा                                                               
             निश दिन भरता नव्य रूप छुप कर करता नयन हरण                                                
जिसे देख विस्मयाभिभूत हैं आँखें और अंतःकरण 
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गुरुवार, 13 दिसंबर 2012

अपनी बेटी को कितना चाहते हैं आप ?


बर्फ से ढकी ऊँची ऊँची पहाड़ियां और उनके शीर्ष पर आच्छादित बादलों के गोले इधर उधर  मंडराते  देखने में इतने मुग्धकारी होते हैं की देखने वाला खुद को भूल जाए अचानक एक भारी  भरकम बादल के बीच से जैसे ही प्लेन गुजरा मेरी पिछली सीट पर बैठे हुए बच्चे ख़ुशी से चिल्ला पड़े की उसी वक़्त अचानक प्लेन में अजीब सी आवाज आई थोड़ा झटका लगा ,इतनी बार सफ़र करने से इतना अनुभव तो हो ही गया की स्पीड और उसका संतुलन कैसा होता है अतः अनहोनी की आशंका से रोंगटे खड़े हो गए आस पास के बच्चे फिर भी बेफिक्र थे बड़ों की बोलती  बंद थी सबकी नजरें एक दूसरे  से कुछ पूछ रही थी की दुबारा वही झटका लगा मेरा दिमाग इस बीच ना जाने कहाँ कहाँ घूम आया और कुछ विचारो की गांठों को खोलने में लग गया इतने में एयर होस्टेस ने आकर बताया अब सब कुछ सामान्य है घबराने की जरूरत नहीं ,वो हमें बाद में पता चला था की एक इंजन खराब हो गया था इस लिए इमरजेंसी इंजन से काम चलाया गया था ।सब कुछ सामान्य होने पर अचानक मैंने अपने पति से पूछा आप इस वक़्त में सबसे ज्यादा किस को याद कर रहे थे सच बताना !! पति ने कहा एक सेकिंड में सबसे पहले बेटी का चेहरा सामने आया उसके तुरंत बाद बेटे का और सब बच्चों का ,उत्तर मेरी आशा के अनुसार ही निकला ,फिर मैंने पूछा मुझे मालूम है आप बेटी को बहुत ज्यादा प्यार करते हो पर एक बात बताओ आज हमे कुछ हो जाता तो आपकी प्रोपर्टी,आपका घर आपकी जमा पूँजी किसे  मिलती बेटी को क्या मिलता ?मेरे प्रश्न से जैसे उन्होंने अन्दर की सब बात भांप ली हो बोले सही कह रही हो ऐसे में हमारे समाज में सब बेटे के पास चला जाता है क्यूंकि शादी के बाद कोई बेटी मांगती भी नहीं चाहे नियम भी हो  कोई देता भी नहीं मैं इससे अधिक कुछ नहीं कह पाई किन्तु मेरे पति के दिमाग में वो उथल पुथल चलती रही कश्मीर से आकर उन्होंने सबसे पहला काम किया अपने सर्विस के फाइनेंशियल रिकार्ड  में बेटी और बेटे दोनों का नाम कानूनी तौर पर बराबर  लिख दिया पेरेंटल प्रापर्टी तो फिर भी बेटे को ही मिलनी है किन्तु पति की जमा बचत का फिफ्टी परसेंट बेटी को मिलेगा उनके इस फेंसले से मेरे दिल में उनका सम्मान दुगुना हो गया और विशवास हो गया की वो वैसे ही नहीं कहते थे की मेरी बेटी बेटे के बराबर है इस बात का अभी ना बेटी को पता है बेटे को हो सकता है किसी तरह इस आलेख को पढ़कर जान लें इस आलेख को लिखने का मेरा मकसद यही है की बेटी आप से कभी नहीं मांगेगी अतः यदि बेटे के बराबर मानते हो तो उसे सब तरह से बराबर मानो वो भी आपके जिगर का टुकड़ा है जो उसे देना है अपना वक़्त रहते दीजिये वर्ना कल का क्या भरोसा !!आप सब लोगों की  प्रतिक्रिया का इन्तजार है    आज सुबह किसी से  चैट करते हुए ये बातें निकली तो उन्होंने सलाह दी की एक आलेख लिख दो बस सोचा आप सब से साझा करती हूँ अपनी बेटी को कितना चाहते हैं आप ?