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गुरुवार, 29 मार्च 2012

सच्चाई का दमन


कल फिर किसी चट्टान को फोड़ने की कोशिश होगी 
कल फिर किसी ईमान को निचोड़ने की कोशिश होगी 
सूरज तो दिन में हर रोज की तरह दमकेगा 
कल फिर  अँधेरे में सच को मरोड़ने की कोशिश होगी 
एक और बुलंद आव़ाज का शीशा चट्केगा 
कल फिर तिलस्मी वादों से जोड़ने की कोशिश होगी
फूट रहा क्रोध का लावा बनकर हर्दय में जो 
कल फिर उसी सैलाब को मोड़ने की कोशिश होगी 
फिर तमाश्बीन  की तरह बैठे रहेंगे हम 
कल फिर किसी जांबाज को तोड़ने की कोशिश होगी 
(कल आर्मी चीफ जनरल वी के  सिंह का क्या होगा मुझे नहीं पता पर आज मेरे मन में जो संशय उभर रहा है वही उद्दगार आप लोगों से साँझा  कर रही हूँ.)

रविवार, 25 मार्च 2012

जीवन महा मंत्र बिनु ||


जैसे अंखियन नीर बिनु,जैसे धेनु क्षीर बिनु 
जैसे भोजन खीर बिनु,जैसे होली अबीर बिनु 
तैसे जीवन धीर बिनु ||
जैसे धरणी मेह बिनु ,जैसे मानव गेह बिनु 
जैसे ज्योति नेह बिनु ,जैसे रजक रेह बिनु 
तैसे जीवन स्नेह बिनु ||
जैसे  रैना चन्द्र बिनु ,जैसे सैन्या यन्त्र बिनु 
जैसे युद्ध षड्यंत्र बिनु ,जैसे कृषक जंत्र बिनु 
तैसे जीवन महा मंत्र बिनु ||
 भूर्भुवः स्वः ||

गुरुवार, 22 मार्च 2012

शहीद भगत सिंह



 देश भक्ति की पावन रज सेसुसज्जित भाल
रिपुहन्ता, सिंघस्वरूपा, भारत माँ का  लाल
अमर्त्यवीर ,पाषाण हिय और स्कंध विशाल  
 प्रहरी वीर, शूरवीर और शक्तिपुंज मशाल  |
असीम,अटल देशभक्ति का भुजंग विकराल  
 शूर ,शौर्यता ,पवन वेगता का जाँ बाज मराल |
छीन के हिन्दुस्तां के अंक से पछता रहा वो काल  
धन्य धरा के अमर सपूत हर माँ तुझपे निहाल ||

मंगलवार, 13 मार्च 2012

तुम्हारी प्रेरणा



उपलब्धियों के मंच पर 
जब भी  कोई तुमसे पूछता कि 
तुम्हारी सफलता के पीछे किसका हाथ है 
तुम हमेशा मुझको अपनी ताकत 
बताते रहे |और उसके बाद
करतल ध्वनी 
की गूंजती आवाज से 
मेरा वो प्रेम का एहसास 
और बुलंद और गर्वित होता चला गया|
याद आया है वो हमारे मिलन का पहला दिन 
जब तुमने मेरे हाथ को थामते हुए कहा था 
कि मेरे अस्तित्व को आज पंख 
मिल गए |
और उसके बाद हम स्वछन्द 
परिंदों कि तरह उन्मुक्त गगन में 
साथ- साथ उड़ते हुए ना जाने कितनी 
नीचाइयों और ऊँचाइयों को छूते हुए
 बहुत दूर निकल गए |
शनै- शनै तुम्हारे पंख 
मेरे पंखों का सहारा लेने लगे 
मेरी चेतना तब धरातल पर लौटी 
जब मैंने महसूस किया कि 
मेरी अनुपस्थिति में तुम्हारी उड़ान 
में वो आत्मविश्वास नहीं रहा 
 तुम मुझ पर आश्रित होने लगे
यह मैंने कभी नहीं सोचा था 
जिस प्यार को मैं तुम्हारी ताकत
समझ रही थी 
वो ही तुम्हे कमजोर कर देगा 
तुम तो टूट ही जाओगे मेरे बिना 
आज इतिहास में लिखी 
हाडा रानी के मन कि दुविधा 
और दूरदर्शिता समझ में आ रही है 
जिसने प्यार के वशीभूत हुए 
राजा राव रतन सिंह को 
युद्द  में  जाते हुए कोई 
प्यार कि भेंट  मांगने पर 
अपने शीश को थाली में 
सजा कर भेज दिया था ,
क्यूंकि वो अपने प्यार को 
अपने पति कि पराजय का कारण नहीं 
बनाना चाहती थी |
कितना मुश्किल हुआ होगा 
उसके लिए ये फेंसला लेना |
किसी को प्यार  और सहारा इतना भी मत दो
 कि वो अपना आत्मविश्वास ही खो दे| 
जीवन भी एक जंग ही है 
और मैं भी नहीं चाहती कि 
तुम इस जंग में मेरे ही कारण 
टूट जाओ |
फिर से दूर क्षितिज तक 
विस्तृत गगन में मेरे बिना उड़ान भरो 
मैं अप्रत्यक्ष रूप से हमेशा तुम्हारे साथ हूँ 
अब मैं तुम्हारी प्रेरणा बनना चाहती हूँ 
कमजोरी नहीं |
क्यूँ  कि  कल का क्या पता 
मैं रहूँ या ना रहूँ |

गुरुवार, 8 मार्च 2012

प्यारी बिटिया


                        प्यारी बिटिया
सुर्ख जोड़े में सजी प्यारी बिटिया
हीरे की कणी सबसे न्यारी बिटिया|
भाई बहनों की नटखट  दुलारी बिटिया
माँ बाबा के दामन की फुलकारी बिटिया |
सात फेरों की रस्मे निभा आई  बिटिया
कन्यादान से हुई पराई बिटिया |
मन में मंद- मंद हरषाई बिटिया
छुई मुई के जैसे शरमाई बिटिया |
जाकर पी का आँगन महकाई बिटिया
बस दो दिन सुख से बिताई बिटिया|
धन के पैमाने  से नपवाई बिटिया
ज़ार -ज़ार अश्रुओं से नहाई बिटिया !
दहेज़ कुण्ड के जख्मों में
सब सुख भूल गई बिटिया
एक दिन उसी सुर्ख जोड़े में
पंखे के गले में झूल गई बिटिया ||
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