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सोमवार, 12 जुलाई 2010

मानव जीवन आख्याति

दुनिया में आया तो जननी प्यारी मिली
वात्सल्यता की देवी जीवन संचारी मिली !
बालावस्था में खेल खिलोने ,
पुस्तक ओर मित्रों की यारी मिली !
किशोरावस्था में भ्रमित ,जिज्ञासु मन 
और   प्रश्नों की श्रंखला विस्मयकारी मिली !
युवावस्था में दिल की रंगत न्यारी मिली 
ग्रहस्ती की जिम्मेदारी मिली !
प्रौढ़ावस्था में कुछ परिपक्व अनुभव ,
कुछ संचयन आबंटन की हकदारी मिली !
वृद्धावस्था  में कुछ व्याधि 
कुछ लाचारी मिली !
अंतिम चरण में मौत जीवन पे भारी मिली 
कुल इन चरणों में मानव जीवन आख्याति  सारी मिली !!